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स्वतंत्रता.दिवस को भारत में राष्ट्रीय अवकाश होता है। इस दिन हम अपने क्रांतिकारियोंए वीरों व स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
भारत का स्व्तंत्रता दिवस प्रत्येक वर्ष 15 अगस्तस को देश भर में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लगभग 200 वर्षों की पराधीनता के पश्चात् 15 अगस्ति 1947 को भारत स्वाधीन हुआ। एक लंबी कालावधि के बाद ब्रिटिश उपनिवेशवाद के चंगुल से छूटने पर भारत के लिए यह एक नए युग का शुभारंभ था। 15 अगस्त9 1947 को भारत को ब्रिटिशराज से स्वशतंत्र हो गया और भारत के राज व नियंत्रण की बागडोर देश के नेताओं को सौंप दी गई। भारत को स्वाधीनता की कीमत हज़ारों स्व तंत्रता सेनानियों के बलिदान व भारत के विभाजन के रुप में चुकानी पड़ी। स्वाधीनता हर व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है अस्तु हमें स्वतंत्रता किसी भी कीमत पर स्वीकार्य थी और रहेगी।
हर वर्ष स्वधतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या ;14 अगस्तद्ध पर भारत के राष्ट्ररपति राष्ट्रत के नाम अपना संदेश प्रसारित करते हैं। अगले दिन 15 अगस्त को लाल किले से तिरंगा झण्डा् फहराया जाता है। इसके अतिरिक्त राज्यक स्तगर पर भी विशेष स्व तंत्रता.दिवस कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनमें ध्वजारोहण और सांस्कृहतिक कार्यक्रमों का आयोजन सम्मिलित होता है। अधिकतर इन आयोजनों को राज्योंर की राजधानियों में आयोजित किया जाता है और प्रायरू मुख्य् मंत्री इन कार्यक्रमों की अध्यसक्षता करते हैं। सरकारी संस्थानोंए शैक्षिक संस्थायनोंए सांस्कृेतिक केन्द्रों। और राजनैतिक संगठनों द्वारा भी इसी प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
हम ब्रिटिश उपनिवेशवाद से तो स्वतंत्र हो गए किन्तु क्या हम वास्तव में स्वतंत्र हैंघ् क्या हम स्वतंत्रता की बलिवेदी पर चढ़ने वाले अमर शहीदों के सपनों को साकार करने में सफल रहेघ् क्या हम जनसाधारण को रोटीए कपड़ा और महान दे पाएघ् क्या हम कश्मीर से कन्या कुमारी तक भारत को एक सूत्र में पिरो पाएघ् क्या हम भारत की राष्ट्र भाषा के मुद्दे पर एक.मत हो पाएघ् हम स्वाधीन होकर भी आधार भूत समस्याओं को हल नहीं कर पाए। क्या हम स्वतंत्रता की कसौटी पर खरे उतर पाएघ् ये कुछ प्रश्न हैं जिनपर विचार ही नहीं बल्कि कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
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