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मैं आम आदमी हूँ .. क्या मैं बोल सकता हूँ???

बेबाक 'बकबक'....जारी है..
बेबाक 'बकबक'....जारी है..
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मैं हूँ हिंदुस्तान का एक आम आदमी ..! बिलकुल सही समझा आपने । मैं वो ही आम आदमी हूँ जो आज श्री केजरीवाल जी की टोपी पर हूँ ..!
वो ही आम आदमी हूँ जिसके लिए हम सब के श्रधेय श्री अन्ना जी दो बार और शायद दो बार नही न जाने कितनी ही बार अपनी जिन्दगी को खतरे में डाल दिया ताकि मैं सुकून से जी सकूं!! वो ही आम आदमी हूँ जिसके लिए बाबा रामदेव और उनके न जाने कितने अनुयायियों ने भ्रष्ट सरकार की लाठियां डंडे खाए..!! वो ही आम आदमी हूँ जिसके लिए हमारे न जाने कितने ही देशभक्त सदियों से अपने प्राणों की आहुति दे रहे हैं !! वो ही आम आदमी हूँ जिसने युगों तक कभी पुर्तगालों , मुगलों तो कभी अंग्रेजों के आधीन रह कर ना जाने कितने जुल्म सहे!! वो ही आम आदमी हूँ जो आज सब कुछ देख कर , सह कर भी बस मौन है, कुछ नहीं कह रहा है , कुछ नही कर रहा है.. आज एक ही सवाल है उसके जहन में क्या मैं अपने लिए बोल सकता हूँ? क्या मैं अपने ऊपर होते जुल्मांें का विरोध कर सकता हूँ..? बस एक सवाल कि मैं एक आम आदमी है,,.. क्या ये मेरा दोष है ??
वैसे ये जो कुछ भी हो रहा है अब शायद ज्यादा दिन नहीं है.। एक क्रांति जो कभी १८५७ में शुरू हुई थी शायद अभी बाकी हैकृ। एक युद्ध अभी फिर एक बार होगा और शायद जो अन्ना जी ने कहा वो होना बाकी है एक क्रांति अभी बाकी है..!!
आज के हिन्दुस्तान के जो हालात चल रहे हैं, घोटाले पर घोटाले और उन घोटालों में हो रहे सरकारी नुकसान को पूरा करने के लिए आम आदमी को महंगाई के बोझ तले दबाते हुए सरकारी फैसले एक के बाद एक नित नयी आक्रोश की चिंगारी आम आदमी के दिल में जला रहे हैं। और अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब हिन्दुस्तान में भी मिस्र जैसे हालत होंगे !! बाहरी , विदेशी ताकतों से तो पता नही पर अपने ही घर में गृह युद्ध की संभावनाएं जरुर बन रही हैं !! सरकार की दमनकारी नीतियाँ अगर इसी तरह आम आदमी को दबाती रही तो ये आक्रोश बहुत ही जल्द एक महाविस्फोट के रूप में नजर आएगा और जिसका परिणाम शायद वो होगा जिसकी कल्पना हम में से शायद कोई नही कर सकता है..!!
मैं एक आम आदमी हूँ और आज यही कहता हूँ के मेरे दोस्तों दुआ करो ह कि हमारे प्यारे हिन्दुस्तान में ऐसा दिन ना आये जिससे हिन्दुस्तान का दिल रोये..। उसके अपने बच्चे अपनों ही के साथ खून की नदियाँ बहायें .! हमारी देश की सरकारों को सोचना होगा कि केवल अपने ही बारे में सोचने के लिए उन्हें इस देश के शासन की बागडोर नही सांैपी है । इस देश में रहने वाले सभी लोगांे के हित और अहित के बारे में सोचने की लिए ये दायित्व उन्हें सौपा गया है..!!
आज इस मंच से मैं यही कहना चाहता हूँ के इस देश की सरकारों को देश के नागरिकों के बारे में सोचना होगा। एक आम आदमी की जरूरतों का ख्याल रखना होगा। उसे बेवजह महंगाई के बोझ तले दबाने से उसके सपनो यहाँ तक की दैनिक क्रियाओं को भी पूरा होने से रोकने के लिए मजबूर किये जाने वाले अपने फैसलों को रोकना होगा..।अन्यथा एक दिन जो आशंका मैं आज इस मंच से जता रहा हूँ वो एक चिंगारी एक महाविस्फोट के रूप में उजागर होगी!!!
भगवान् से यही प्रार्थना है के ऐसा ना हो और सभी कुछ सही हो जाए।एक आम आदमी को अपने सपने, आशाओं, अभिलाषाओं को पूर्ण करने का अवसर मिले..

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