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कि भाई सुनो…..!!

बेबाक 'बकबक'....जारी है..
बेबाक 'बकबक'....जारी है..
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कि भाई सुनो ! इलेक्शन-विलेक्शन तो अब खत्म हो गया ! अब तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं ! अब तुम्हें डरने की आवश्यकता नहीं क्यांेकि अब कारों की पों-पों और स्पीकरों की भौं-भौं तुम्हारे कानों के परदों में सुराख नहीं करेगी। मोटर गाडि़यों के पीछे उड़ते हुए धूल के गुबारों को आंधी समझ कर अब तुम्हंे अपनी बिना दरवाजे की झोंपडी में धूल को घुसने से रोकने के लिए दरवाजे पर फटा हुआ टाट नहीं डालना पडेगा ! अब तुम्हारे नाक को चुनाव में खडे़ उम्मीदवारों के किराए के आदमियों द्वारा फैलाई मुर्दा नारों की सड़ी बदबू से राहत मिल जायगी !
कि भाई सुनो, चुनावों की हलचल में हमेशा ही तुम्हारा जीवन अस्त-व्यस्त हुआ है ! अतिथि सत्कार के बोझ तले दबे तुमने इन नेताओं की सेवा करने में अपने शरीर का कितना गोश्त बेचा है इसकी खबर शायद तुम्हें भी नहीं ! तुम तो सारा दिन अपनी रोजी छोड़ कर नेताओं के टेंट लगाकर और मंच सजा कर केवल उनका भाषण सुन कर अपना पेट भर लिया करते थे ! परंतु उन दिनों तुम्हारे काम पर न जाने से तुम्हारे नंगे घूमते बच्चों ने किस प्रकार अपनी भूखी अंतडियों को तसल्ली दी होगी यह तुम्हारे नेता जी क्या जानें ? तेरह जगह से फटी साड़ी से अपने शरीर को ढकने मे असमर्थ तुम्हारी औरत ने चुनावों के चहल-पहल में नेताओं के चमचों की नजरों से बचने के लिए झोंपडी में दुबककर कैसे दिन गुजारे हैं ,यह सिर्फ उसकी ही आत्मा जानती है।
कि भाई सुनो, तुम्हें तो सिर्फ काम की चिंता होनी चाहिए ! फल की चिंता करने का तुम्हें कोई अधिकार नहीं है ! यह गीता का वाक्य है ! भगवान कृष्ण का आदेश है ! जिसे तुम्हें मानना ही होगा ! अगर तुम नही मानोगे तो यह “कोप देवता” तुम्हें जला कर राख कर देंगे ! “अपहरण देवता” तुम्हारी जवान बहू-बेटियों को उठा कर ले जांयेंगे ! “पुलिस देवता” तुम्हारी पत्नी का चीर-हरण करके तुम्हारी झोंपडी में आग लगा देंगे ! मेहनत मजदूरी करना तुम्हारा फर्ज है ! तुम्हारा कर्तव्य है ! तुम्हारा धर्म है ! फिर पैसे किस बात के ? मेहनत करने के बाद तुम पैसे मांगते हो इसी लिए तो तुम गरीब हो ! अमीर लोग तो बिना मेहनत किए ही पैसे छीन लिया करते हैं, इसीलिए वो अमीर हैं !
कि भाई सुनो, जो नेता चुनाव जीत गए हैं उन्हें अपनी जीत की खुशी मनाने से फुरसत नहीं ! जो हार गए हैं उन्हें अपनी हार का गम मनाने से फुरसत नहीं ! वो जीत की खुशी में स्काॅच पी रहे हैं ! वो हार के गम में स्काॅच पी रहे हैं ! तुम उनके द्वारा उडाये जा रहे मांस की हड्डियों के इंतजार में क्यों बैठे हो ? उन हड्डियों के हकदार तो सिर्फ उनके कुत्ते हैं ! तुम उनके कुत्ते नहीं हो ! तुम उठो और अपने पुराने ढर्रे पर लग जाओ ! अपना पुराना काम शुरू करो ! क्योंकि काम करना तुम्हारा फर्ज है फल की चिंता करने का तुम्हें कोई हक नहीं !

प्रवीण दीक्षित
9044060578neta

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