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हां तुम खास हो !!

बेबाक 'बकबक'....जारी है..
बेबाक 'बकबक'....जारी है..
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कितने ही लोग, कितने ही रिश्ते होते हैं हमारे आसपास जिनसे हमारा
अस्तित्व जुड़ा होता है. जो हमें वो बनाते हैं जो हम हैं, वो जिनसे हम
प्यार करते हैं और वो जो हमें प्यार करते हैं. वो कोई भी हो सकते हैं.
हां तुम खास हो !!!

हमारे घर-परिवार वाले, हमारे दोस्त, हमारे अपने. कभी सोचा की ये लोग
हमारी ज़िन्दगी में ना हों तो क्या हो? ज़िन्दगी के मायने ही बदल जाएँ
शायद ! या पूरी ज़िन्दगी ही.
पर कितनी बार होता है की हम इन अपनों को “Special” फील कराते हैं.
उन्हें ये महसूस कराते हैं की हाँ, वो हमारे लिये ख़ास हैं. हाँ, हमें
उनकी ज़रुरत है. हाँ, उनका ना होना हमारी ज़िन्दगी को प्रभावित करेगा.
शायद ही कभी ऐसा करते हैं हम. है ना ? हमेशा इन अपनों को “for granted”
लेते हैं, या शायद उन लोगों की इतनी आदत पड़ चुकी होती है हमारी ज़िन्दगी
में, कि कभी इस बारे में सोचते ही नहीं कि वो कितने ख़ास है हमारे
लिये… कि उनके बिना हम “हम” नहीं होंगे…

हमें हमेशा यही लगता है की ये तो हमारे अपने हैं. ये कहाँ जायेंगे. ये तो
हमेशा हमारे पास ही रहेंगे. हम सही भी होते हैं.वो कहीं नहीं जायेंगे
क्यूँकि वो हमारे अपने हैं.पर क्या ये हमारा फ़र्ज़ नहीं बनता की हम भी
उन्हें ये महसूस करायें की हम भी हैं उनके लिये. कि हम भी हमेशा उनके
लिये मौजूद रहेंगे उनकी ज़िन्दगी की हर छोटी-बड़ी ज़रूरतों में, हर
अच्छे-बुरे पल में. माना, आपको उनकी परवाह है और कद्र भी पर हमेशा
खामोशियाँ पढ़ना किसी को भी अच्छा नहीं लगता. कभी-कभी खुल के जता भी देना
चाहिये. कभी किसी अपने को ये महसूस कराइये कि वो कितना ख़ास है आपके
लिये.उसे भी एक मुस्कान दे कर देखिये. यकीन जानिये उसे ये छोटी सी ख़ुशी
दे कर आपको जो सुकून मिलेगा उसका कोई मोल नहीं.

और एक राज़ की बात बतायें? ये काम बिलकुल भी मुश्किल नहीं है..छोटी छोटी
सी बातें हैं पर अगर आप कर पायें तो सच में आपके अपने, आपके और भी करीब आ
जायेंगे. बहुत कुछ नहीं करना होता है किसी को ख़ास महसूस कराने के लिये.
ना ही बहुत मेहनत, समय या पैसा लगता है इसमें ! किसी ख़ास मौके पर तो हर
कोई आपको याद करके ये एहसास करता है की वो मौका, वो दिन आपके लिये ख़ास
है. पर कभी बेवजह ही, बिना किसी बात के बस यूँ ही याद कर के देखिये.एक
प्यारा सा SMS कर के देखिये. बेवजह फ़ोन कर के बस हाल चाल ले लीजिये.या
यूँ ही बोल दीजिये तुम्हारी याद आ रही थी, ऐसे ही बात करने का मन हुआ.
कितना टाइम लगता है इस सब में ? चंद मिनट बस !
ऑफिस से घर लौटते समय सबके लिये कुछ लेते जाइए. फूल, चॉकलेट या कुछ भी जो
घर पे सबको पसंद हो. कभी ऐवें ही कॉफी पीने चले जाइए अपने दोस्त के साथ
ये कह के की बस साथ बैठने का मन है. या एक जादू की झप्पी दे दीजिये बेवजह
और देखिये आपके अपने कैसे खिल उठेंगे 🙂

आपके अपनों को ज़्यादा कुछ नहीं चाहिये होता है आपसे. बस आपका थोड़ा सा
समय और थोड़ा सी परवाह.और आपकी आँखों में अपने लिये थोड़ा सा प्यारा और
ये भरोसा की हाँ वो भी ख़ास हैं आपके लिये.आपको भी उनकी ज़रुरत है. किसी
अपने को ये एहसास करा के देखिये कभी, आप ख़ुद भी उतना ही अच्छा महसूस
करेंगे ! इस भौतिकवादी दुनिया में कोई भी एहसास इस एहसास से ज़्यादा ख़ास
नहीं होता की किसी को आपकी ज़रुरत है… आप भी ख़ास हैं किसी के
लिये…….
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