Menu
blogid : 10509 postid : 607871

फिर गधे को इतना प्रताड़ित क्यों किया जाता है ?

बेबाक 'बकबक'....जारी है..
बेबाक 'बकबक'....जारी है..
  • 66 Posts
  • 273 Comments

कई बार मुझे ‘भाई लोगों’ की बात पर बहुत गुस्सा आता है। जब भी उनकी खोपड़ी घूमती है, किसी को भी गधा करार दे देते हैं। जैसे गधा, गधा न होकर दुनिया की सबसे मूर्ख शख्स़ियत हो। अरे भई, गधे की भी अपनी इमेज होती है, उसकी भी कोई बिरादरी होती है जहाँ उसने मुँह दिखाना होता है। उसके भी अपने ‘इमोशन्‍श’ होते हैं। अब क्या हुआ जो गधा सबके सामने हँसता नहीं है, रोता नहीं है, मुस्कराता नहीं है, ईर्ष्याता नहीं है, घिघियाता नहीं है और न ही आँखे तरेर कर देखता है। अपनी भावनाओं पर काबू रखने में गधे का क्या कोई सानी है? नहीं न। तो फिर गधे को इतना ज़लील क्यों किया जाता है कि हर ऐरे-गैरे नत्थू-खैरे की तुलना उससे कर दी जाती है।

भाई लोग मेरी इस साफ़गोई का भले ही बुरा मानें लेकिन भाई मैं तो गधे के लिए अपने दिल में साफ्ट-कॉर्नर रखता हूँ। उसकी इज़्ज़त करता हूँ। गधे को मैंने बहुत क़रीब से देखा है, जाना है। गधा एक ऐसा प्राणी है जिसका इस समाज को अनुसरण करना चाहिए, उसके पदचिन्हों पर चलना चाहिए। अब देखो न, गधा कभी बयान नहीं बदलता। अपने स्टैंड पर कायम रहता है। आस्थाएँ भी नहीं बदलता। जिसके साथ खड़ा हो गया, दिलोजान से उसके साथ चलेगा। धांधलियों की शिकायत करने भी नहीं जाता। खोखले वायदे भी नहीं करता। नारे भी नहीं लगाता। उस पर सवार होकर कोई कितना भी क्यों न चीख-चिल्ला ले, गधे पर कोई असर नहीं पड़ता। उसकी सहनशक्ति गज़ब की है। क्या हम में से कोई इतनी सहनशक्ति का मालिक है?

आप गधे पर कोई भी निर्णय थोप दो। गधा कभी रियेक्ट नहीं करेगा। गधा चुपचाप अपना गुस्सा पी जाएगा लेकिन विवाद खड़ा नहीं करेगा। वैसे भी विवाद खड़ा करके चर्चा में बने रहना गधे की आदतों में शुमार नहीं है। गधा कभी भी किसी बात को स्टेटस सिंबल नहीं बनाता। उसे आप किसी भी दिशा में धकेल दो, वह उसी तरफ़ चल देगा और कभी यह नहीं कहेगा कि उसे दक्षिण दिशा में मत मोड़ों क्योंकि दक्षिण पंथी विचारधारा उसे रास नहीं आती। गधे के ऊपर आप किसी भी विचारधारा का बैनर लटका दो, गधा कभी नाक भौं नहीं सिकोड़ेगा। गधे के ऊपर आप किसी को भी बिठा दो, गधा कभी खुद को ज़लील महसूस नहीं करेगा। गधा उसी अलमस्त अंदाज़ में चलेगा जो अंदाज़ उसे पूर्वजों से विरासत में मिला है।

गधे की एक और खूबी यह भी है कि उसे दुनिया के किसी भी मसले से कोई लेना-देना नहीं है और न ही वह किसी मसले में अपनी टाँग अड़ाता है। वह अमेरिका की तरह किन्हीं दो मुल्कों के पचड़े में नहीं पड़ता। न किसी की पीठ थपथपाता है और न किसी को धमकाता है। भारतीय क्रिकेट टीम की कमान किस को सौंपी गई है और किस प्रांत के खिलाड़ी को बाहर बिठाया गया है, गधे को इससे भी कोई लेना-देना नहीं है। गधा तो कभी यह राय भी ज़ाहिर नहीं करता कि फलां खिलाड़ी लंबे अरसे से आऊट आफ़ फार्म चल रहा है, उसे टीम में क्यों ढोया जा रहा है? अगर मुल्क की टीम लगातार जीत रही हो तो गधा खुशी से बल्लियों नहीं उछलता और अगर टीम लगातार पिट रही हो तो गधा मैदान में पहुँचकर न तो मैच में विघ्न डालता है, न खाली बोतलें फेंकता है और न ही हाय-हाय के नारे लगाता है। गधा तो यह शिकायत भी नहीं करता कि अंपायर ने किसी खिलाड़ी को ग़लत आऊट दे दिया है, लिहाज़ा अंपायर को बाहर भेजा जाए और नया अंपायर लगाया जाए। कौन-सी टीम मैच जीतेगी और कौन खिलाड़ी सेंचुरी मारेगा, गधा इस बात पर कभी सट्टा भी नहीं लगाता।

गधा न तो धर्मांध है और न ही सांप्रादायिक। वह किसी मज़हब विशेष का राग भी नहीं अलापता। मंदिर-मस्जिद के झगड़े में भी नहीं पड़ता। वह क्षेत्रवाद का हिमायती भी नहीं है। उसके लिए सारी धरा की घास बराबर है। गधे की इच्छाओं का संसार भी बहुत बड़ा नहीं है। उसे न तो मोबाईल चाहिए, न टेलिविजन, न गाड़ी-बंगला, न गनमैन और न ही किसी क्लब की मैंबरशिप। गधा पैग भी नहीं लगाता। उसे तो दो जून का चारा मिल जाए तो उसी में खुश रहता है। गधे में आपको और क्या-क्या ख़ासियत चाहिए?

गधा कभी-कभार दुलत्ती तो मारता है लेकिन किसी को गोली तो नहीं मारता, बम नहीं फोड़ता, बारूदी सुरंगें नहीं बिछाता, डकैती नहीं डालता, रिश्वत नहीं लेता, बूथ कैप्चरिंग नहीं करता, घोटाले नहीं करता, रात के अंधेरे में कोई ऐसे-वैसे काम भी नहीं करता। फिर गधे को इतना प्रताड़ित क्यों किया जाता है?

गधे पर मैंने कोई फोकट में रिसर्च नहीं की। कितने ही गधों की संगत करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि गधा अनुकरणीय तो है ही, प्रात: स्मरणीय भी है। गधे के अपने आदर्श हैं, अपनी फिलॉसाफ़ी है, ज़िंदगी के अपने कुछ मापदंड हैं, सिद्धांत हैं। गधे को इज़्ज़त देकर, उसका अनुसरण कर हम एक सभ्य समाज की परिकल्पना को साकार कर सकते हैं। हमारे इस कदम का गधा कतई बुरा नहीं मानेगा। जब तक गधे को महज़ गधा ही आँका जाएगा, तब तक न तो समाज का भला होने वाला है, न देश का, न दुनिया का और न ‘भाई लोगों’ का।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply