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मोदी की अरब यात्रा के यथार्थ

बेबाक 'बकबक'....जारी है..
बेबाक 'बकबक'....जारी है..
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आपने कभी देखा होगा कि मक्खी पूरे शरीर को छोड़कर केवल जख्म पर ही बैठती
है, चाहे वो कितना भी छोटा क्यों न हो, कुछ ऐसा ही मोदी विरोधियों का हाल है, जो मोदी जी के बड़े-बड़े कामों में भी छोटा सा नुक्स निकाल कर ही हुड़दंग करते रहते है, फिर उन्हें इस बात से मतलब नहीं रहता कि उनके इस हुड़दंग का देश को कितना नुकसान हो सकता है । मोदी जी की अमीरात यात्रा अपने अन्दर बहुत से अर्थ समेटे हुए है, इसका भारतीय राजनीति,अर्थनीति और विदेश नीति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है, बशर्ते भारत की अन्दरूनी राजनीति इसके आड़े न आये। अगर हम न देखना चाहे तो अलग बात है, लेकिन यह यात्रा हमारे देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है ।

मोदी जी की इस यात्रा को मीडिया का पूरा कवरेज मिला, जो कि उनकी सोवियत संघ से निकले हुए देशों की यात्रा को नहीं मिला था, वो यात्रा भी मुस्लिम देशों की थी, लेकिन सऊदी अरब की यात्रा के अलग मायने है । सऊदी अरब सबसे महत्वपूर्ण खाड़ी देश है, इसके साथ अच्छे सम्बन्ध बनाकर मोदी जी दूसरे देशों खाड़ी देशो के साथ भी सम्बन्ध सुधारना चाहते हैं । सऊदी अरब का महत्व इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि एक तरफ तो ये अमरीका का महत्वपूर्ण सहयोगी है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान को मददगार भी । सऊदी अरब और अमरीका दोनों ही पाकिस्तान को भारी वित्तीय मदद देते है, इसलिए पाकिस्तान से निबटने के लिये हमें अमेरिका के साथ-साथ सऊदी अरब को भी अपने पाले में लाना होगा तभी पाकिस्तान की नापाक हरकतों पर लगाम लगायी जा सकती है । इस यात्रा में मोदी जी ने सऊदी अरब की धरती से ही सऊदी अरब के साथ साँझा बयान जारी करके पाकिस्तान को उसकी हरकतों के लिये कड़ी चेतानवी दी है । गुड तालीबान और बैड तालीबान के लिए भी चेताया है ।

सऊदी अरब से भारी निवेश का वादा लेकर मोदी जी भारतीय जनता से किये
गये अपने वादे पूरे करना चाहते है, क्योंकि वो वादे बिना विदेशी निवेश के
सम्भव नहीं हो सकते और उनके पास निवेश के लिए काफी पैसा है । उन्हें भवन
निर्माण में विशेषज्ञता हासिल है, जिसका हम फायदा उठा सकते हैं, क्योंकि
आने वाले वर्षों में हमें अपनी जनता के लिये करोड़ो घरों का निर्माण करना
ही होगा । एक अनुमान के अनुसार हमारे 23 लाख लोग इस देश में निवास करते
हैं, जिन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, अगर शीर्ष स्तर पर
हमारे सम्बन्ध अच्छे होंगे तो उनकी समस्याओं को हल करना आसान होगा । इस
देश में ज्यादातर भारतीय मजदूरी करते हैं और बहुमूल्य विदेशी मुद्रा भारत
भेजते है, जो कि हमें तेल आयात करने के काम आती है । अगर भारत से बाहर
बसे भारतीय हमें पैसा न भेजे तो अपने विदेशी मुद्रा भण्डार की हालत आप
सोच भी नहीं सकते । इस प्रकार ये लोग महत्वपूर्ण देशसेवा कर रहे हैं,
इनकी अनदेखी अच्छी बात नहीं होगी ।

सबसे ज्यादा हल्ला मोदी जी के मस्जिद जाने से हुआ है, क्योंकि
विरोधियों का कहना है कि मोदी जी टोपी नहीं पहनते, फिर मस्जिद क्यों गये
और अपने देश की मस्जिदों में क्यों नहीं जाते ? आज तक मुझे ये समझ नहीं
आया कि टोपी पहनने से आदमी धर्मनिरपेक्ष कैसे हो जाता है ? क्या मुस्लिम
समाज से जुड़ने के लिए और उनका साथ पाने के लिये मस्जिद जाना जरूरी है और
क्या जो नेता टोपी पहनते हैं, मस्जिद जाते हैं और इफ्तार करते है वही
धर्मनिरपेक्ष है ? क्या धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा यही है ?

वास्तव में काँग्रेस ने आजादी के पहले से ही तुष्टीकरण को
धर्मनिरपेक्षता का नाम दे दिया था और उनकी इसी नीति के कारण देश का
बँटवारा हुआ, क्योंकि इसी नीति के कारण नाराज हिन्दु कट्टरवादियों की शरण
में चले गए और इससे भयभीत होकर मुस्लिम जिन्नाह की शरण में चल गए । सच्ची
धर्मनिरपेक्षता कहती है कि आप अपने धर्म का पालन करों और दूसरो को उनके
धर्म का पालन करने दो, न कि दूसरों के धार्मिक रीति रिवाजों में शामिल
होकर उन्हें मूर्ख बनाओ । लगभग सारे मुस्लिम इसी बात को मानते हैं, इसलिए
वो मन्दिर नहीं जाते, मूर्तिपूजा नहीं करते, तिलक नहीं लगाते और न ही
इधर-उधर माथा टेकते फिरते है, क्योंकि वो अपने धर्म का पूरी सच्चायी से
पालन करते हैं, इसलिए उन्हें किसी ढकोसले की जरूरत नहीं रहती । मोदी जी
अपने धर्म का पूरे समर्पण भाव से पालन करते है और वोटो के लिए कोई दिखावा
नहीं करते । अगर धर्मनिरपेक्ष नेताओं की हरकतों की बात की जाए तो इस देश
में कोई भी मुस्लिम धर्मनिरपेक्ष नहीं रह जाएगा ।

मोदी जी ने विदेशी मेजबान का सम्मान करते हुए खूबसूरत मस्जिद का
बिना टोपी पहने हुए दौरा किया और बड़ी ध्यान से उसको देखा और समझा । पहली
बार मोदी जी मस्जिद गए और वहाँ भी मोदी-मोदी के नारे लगने लगे । इस बात
से उनके विरोधियों को सावधान हो जाना चाहिए कि अगर वो भारत में भी
मस्जिदों में जाने लगे तो उनका क्या होगा । इसी कारण उनके विरोधी मोदी की
मस्जिद यात्रा को लेकर उल्टे-सीधे बयान दे रहे हैं । अजीब बात है, मोदी न
जाए तो दिक्कत और जाए तो दिक्कत, क्योंकि दिक्कत तो उनकी छोटी सोच में
छुपी हुई है, जिसे बदलना आसान नहीं है ।

हम जानते हैं कि आईएस का प्रभाव मुस्लिम देशों में बढ़ता जा रहा है
और सभी मुस्लिम देश इससे भयभीत हैं । आईएस आगे चलकर हमारे लिए भी
मुसीबतें खड़ी कर सकता है । आईएस को रोकने के लिए साँझी रणनीति बनाने में
यह दौरा महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है, क्योंकि आईएस पाकिस्तान तक आ
चुका है, इसलिए अब इससे लड़ने के लिये तैयारी करनी ही होगी । दाऊद पर
शिकंजा कसने के लिए भी हमें इस देश के सहयोग कर जरूरत है, क्योंकि उसके
काले कारोबार का बड़ा हिस्सा इसी देश में है ।

मोदी जी के भाषण समारोह में हजारों की संख्या में मुस्लिमों ने भाग
लिया, जिसका प्रभाव भारतीय मुस्लिम समाज पर पड़ना निश्चित है । वैसे भी
देश की मुस्लिम राजनीति में औवेशी नाम की उठ रही आँधी ने कथित
धर्मनिरपेक्ष नेताओं की नींद उड़ा रखी है और अगर मोदी भी थोड़े से भी
मुस्लिम वोट ले जातें है तो इन नेताओं को अपनी राजनीति चलाने के लिये
दूसरे ग्रह पर जाना होगा । औवेशी स्पष्ट और तर्कपूर्ण बातें बोलते है,
जिससे वो मुस्लिम समाज में काफी लोकप्रिय होते जा रहे हैं, कथित
धर्मनिरपेक्ष नेताओं की दोगली बातों से दुखी मुसलमान अब उनकी ओर रूख कर
रहे हैं । यह बात भारतीय राजनीति में होने वाले बदलावों की ओर संकेत कर
रही है ।

जितने प्यार और आदर से सऊदी अरब के शहजादे ने मोदी जी का स्वागत किया
है, वो भारत के बढ़ रहे प्रभाव की ओर एक संकेत है । सारे प्रोटोकोल तोड़कर उन्होंने अपने पाँचो भाईयों के साथ एयरपोर्ट पर मोदी जी का स्वागत किया और मोदी जी के साथ मस्जिद भी गये, जो कि उनके आगमन पर आम जनता के लिये बन्द कर दी गई थी । जितना सम्मान हमारे प्रधानमंत्री को मिला है वो हमारे सम्बन्धों को न केवल सऊदी अरब के साथ बल्कि अन्य खाड़ी देशो के साथ भी नए रिश्तों को जन्म देगा और भारत को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान दोबारा बनाने में मददगार साबित होगा ।

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